हरतालिका व्रत कथा हिंदी में – ( Hartalika Katha In Hindi ) -हरतालिका तीज कथा , व्रत कथा , हरतालिका व्रत के लाभ , कब करे व्रत, सम्पूर्ण जानकारी |

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में –

हरतालिका तीज एक पर्व है जो प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भाद्रपद मास में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सती कथा की प्रसिद्धि के कारण माना जाता है और यह नारी शक्ति की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

हरतालिका तीज का नाम ही द्वापर युग की कथा से आया है, जिसमें भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने अपने मित्र हरिता की मदद से शिव का मनोरंजन किया था ताकि उनकी शादी हो सके। इस कथा के आधार पर ही यह पर्व हरतालिका तीज के नाम से पुकारा जाता है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

महिलाएं इस व्रत के दिन व्रती रहती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं। उन्हें गंगा नदी में स्नान करना भी आवश्यक माना जाता है। व्रत के दौरान विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने की परंपरा भी होती है।

इस व्रत का उद्देश्य महिलाओं के सुख-संतान और पति की लंबी आयु की कामना करना होता है। व्रत के दिन महिलाएं खास ध्यान और उपासना के साथ दिन बिताती हैं और अपने परिवार की कल्याण की कामना करती हैं।

इस पर्व की विशेषता उत्सवपूर्ण रंगीनी, विभिन्न प्रकार की परंपराएं और मिलनसर सामाजिक धाराएं होती हैं जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ती हैं। इस तरीके से हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण और आदर्श पर्व बनता है जो महिला शक्ति और परिवार के महत्व की महत्वपूर्णता को प्रमोट करता है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

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हरतालिका व्रत विधि :

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में

हरतालिका तीज व्रत का आयोजन भारत में महिलाओं द्वारा किया जाता है और यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश और गौरी की पूजा करने के लिए किया जाता है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

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व्रत विधि:हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

  1. व्रत की तृतीया को सुबह उठकर नियमित स्नान करें।
  2. व्रत करने वाली महिला को व्रत कथा सुननी चाहिए, जिसमें हरतालिका और उसके पति की कथा सुनाई जाती है।
  3. तीज की पूजा के लिए गणेश और गौरी की मूर्तियों की स्थापना करें।
  4. पूजा के लिए सुन्दर सा पूजा स्थल तैयार करें, जिसमें सजीव घास या धान का पौधा भी स्थापित करें।
  5. श्रावण सोमवार के दिन व्रती महिला को पूजा स्थल पर बैठकर अपने स्थूल पुत्र की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
  6. अपने साथी की खुशियों और दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत की पूजा करें।
  7. पूजा के बाद, गणेश और गौरी को पुष्प, दीप, धूप, अखंड दिया, फल, और प्रसाद के साथ पूजें।
  8. इसके बाद, व्रती महिला को गन्ने के रस के एक दिए के साथ पौधे की पूजा करनी चाहिए। इसे व्रती का अर्चन माना जाता है।
  9. व्रत की कथा और पूजा के बाद, व्रती महिला को फल और प्रसाद देना चाहिए।
  10. इसके बाद, व्रती महिला को आदर सहित अपने पति की पूजा करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

इस तरीके से हरतालिका तीज व्रत का आयोजन किया जा सकता है और इसके माध्यम से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति की प्रार्थना की जा सकती है।|

हरतालिका तीज व्रत कथा :

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में

कथा -1 :हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कथा के साथ जुड़ा हुआ है। यह व्रत भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जिसे हरतालिका तीज के रूप में जाना जाता है। इस दिन महिलाएं भगवती पार्वती की भक्ति और शिव परिवार की कथाओं को सुनती हैं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

कथा के अनुसार, एक बार पार्वती जी की सखी हरिता उनके पास आई और उनसे पार्वती जी की शादी की चिंता करने लगी। हरिता को यह देखकर दुखी होकर पार्वती जी ने अपने पिता हिमवत के पास जाकर अपनी बात कही। पार्वती जी ने कहा कि वह भगवान शिव की पत्नी बनना चाहती हैं, लेकिन हरिता उन्हें उसके विवाह के बारे में चिंतित कर रही है।

इस पर पार्वती जी के पिता ने एक उपाय सुझाया। उन्होंने कहा कि वह एक व्रत रखें, जिसमें वे तीन दिन तक पूजा-अर्चना करें और भगवान शिव की भक्ति करें। इस व्रत के बाद उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी और वे उनकी पत्नी बन सकेंगी।|

पार्वती जी ने अपने पिता की सलाह मानी और तत्परता से व्रत रखा। उन्होंने तीन दिन तक नियमित रूप से पूजा की और भगवान शिव की महिमा गाई। तीसरे दिन, पार्वती जी ने भगवान शिव की आराधना करते समय अपनी मनोकामना प्रकट की कि वह उनकी पत्नी बनना चाहती हैं।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

भगवान शिव ने पार्वती जी की आशा को पूरा करते हुए उन्हें अपनी पत्नी बनाया और उनके साथ विवाह किया। इस प्रकार, पार्वती जी ने हरतालिका तीज व्रत के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त की और उनकी पत्नी बनने का आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस प्रकार, हरतालिका तीज व्रत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो उन्हें शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। यह व्रत पार्वती जी की भक्ति और पतिव्रता धर्म की महत्वपूर्ण कथाओं को याद दिलाने का एक माध्यम है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

कथा -2 :हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में

बहुत पुरानी कहानी है, एक गांव में एक ब्राह्मण थे जिनकी कोई संतान नहीं थी। उनकी पत्नी ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा की थी तथा उनकी कृपा प्राप्त करने का व्रत किया था। उनकी पत्नी के व्रत और उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके समक्ष प्रकट हुए और उनसे बोले, “तुम्हारी भक्ति और पूजा से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारी इच्छा क्या है?”

पत्नी ने भगवान से विनती की कि वह उन्हें एक सुंदर संतान प्रदान करें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें एक बेटी प्रदान की। यह बेटी बहुत ही सुन्दर और तलाश में उलझी हुई दिखती थी।

जब वह बेटी बड़ी हुई, तो उसकी माता-पिता ने उसके लिए एक समय आयोजित किया जिसमें उन्होंने विभिन्न युवकों को आकर्षित किया ताकि वह उनमें से उचित वर पसंद कर सके।

लेकिन बेटी ने यह सब सुनकर नकारात्मकता दिखाई और उनकी इच्छा नहीं थी कि वह अब शादी करें। उसने अपने माता-पिता से कहा कि वह भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए वन में चली जाना चाहती है और वह वन में व्रत रखना चाहती है।

उसके माता-पिता ने उसकी इच्छा का सम्मान किया और उन्होंने उसे वन में जाने की अनुमति दी। बेटी ने वन में गए और भगवान शिव की भक्ति करते हुए उनकी पूजा की।|हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

उसकी भक्ति और तपस्या ने भगवान शिव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने अपने स्वरूप में उस बेटी को प्रकट किया और उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए उसके विवाह का आयोजन किया।

इसी दिन को लोग हरतालिका तीज के नाम से मनाने लगे। इस व्रत का महत्व है कि यह मातृत्व की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और साथ ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना के माध्यम से विवाह संस्कार की महत्वपूर्णता को भी प्रकट करता है।

इस प्रकार, हरतालिका तीज व्रत कथा से हमें न केवल परंपरागत महत्व का पता चलता है, बल्कि मातृत्व और परिवार के महत्व को भी समझने का मौका मिलता है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में |

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कथा -3 :हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

हरतालिका व्रत कथा हिंदी में

बहुत पुरानी बात है, एक समय की बात है, अयोध्या नगरी में राजा विराजमान रहते थे। राजा विराजमान की रानी का नाम कामदा था। उनके गृहकल्याण और सुख-शांति के लिए वो संतान प्राप्ति के लिए तपस्या करती थीं, लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं होती थी।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

कामदा रानी का सखा सुगंधा नामक एक ब्राह्मण था। उसने रानी को संतान प्राप्ति के लिए हरतालिका व्रत का उपदेश दिया। यह व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि को आयोजित किया जाता है।

रानी कामदा ने उसकी सलाह मानी और उसी तिथि को हरतालिका व्रत की तपस्या करने लगी। उसने उपवास, जागरण और ध्यान के साथ भगवान शिव-पार्वती की पूजा की। समय के साथ व्रत के नियमों के अनुसार राजमहल में और भी महिलाएं इकट्ठी हो गईं और हरतालिका तीज की परंपरा आरंभ हुई।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

इस पर्व के पीछे एक और कथा भी प्रसिद्ध है। भगवान शिव की भक्त पार्वती जी ने अपने मनोबल के साथ अपने पिता हिमवान्त के आदिकुल में तपस्या करते हुए उनकी आशीर्वाद से ही भगवान शिव को पति बनाया था। यही तात्पर्य हरतालिका की हरता (हानि) को तालिका (तालिका) में बदलने से है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

इस प्रकार, हरतालिका तीज व्रत महिलाओं की संतान की प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है और यह पर्व पूरे उत्तर भारत में बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

हरतालिका तीज व्रत कथा के लाभ :

हरतालिका तीज व्रत कथा का महत्व हिन्दू धर्म में विशेष माना जाता है और यह व्रत मुख्यत: नारी शक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए जाना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश की माता पर्वती द्वारा अपने शक्ति और प्रेम के प्रतीक के रूप में रखे जाने की कथा पर आधारित है। इसके अलावा, हरतालिका तीज व्रत के अन्य लाभ निम्नलिखित होते हैं:

  1. पति की लंबी उम्र और सुख-शांति: इस व्रत का पालन करने से पतिव्रता पत्नियों को अपने पतियों की लंबी उम्र और उनके साथ सुख-शांति की कामना होती है।
  2. सौभाग्यवती और सुखी जीवन: यह व्रत सौभाग्यवती और सुखी विवाहित जीवन की प्राप्ति में मदद करता है।
  3. पुत्र प्राप्ति: इस व्रत का पालन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और पुत्र की प्राप्ति की कामना की जाती है।
  4. स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक लाभ: हरतालिका तीज व्रत का पालन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और व्यक्ति की आयु बढ़ती है, क्योंकि यह व्रत सुरक्षित और पौष्टिक आहार का पालन करने की प्रेरणा देता है।
  5. भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति: इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उनकी भक्ति में वृद्धि होती है।
  6. बच्चों की सुरक्षा: इस व्रत का पालन करने से माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा की कामना करती हैं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा की प्राप्ति की चाह करती हैं।
  7. समृद्धि और अधिकार्थिक लाभ: यह व्रत अधिकार्थिक और सामाजिक लाभ की प्राप्ति में मदद करता है और व्यक्ति को समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

इन सभी लाभों के साथ, हरतालिका तीज व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो मानव जीवन को आध्यात्मिकता, संतान सुख, और सौभाग्य की दिशा में अग्रसर करने में मदद करता है।|हरतालिका व्रत कथा हिंदी में|

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