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श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा :

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा

कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का पुनरागमन किया जाता है।

जन्माष्टमी के दिन भक्तों के द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान के मूर्ति प्रतिमाओं की सजावट की जाती है और उनके लीलाओं के कथनकों का पाठ किया जाता है। भक्तों के द्वारा व्रत, उपवास और ध्यान का अभ्यास किया जाता है ताकि वे भगवान की अनुग्रह प्राप्त कर सकें।

रात्रि को खासकर मिथाइयों की तैयारियाँ की जाती है और खासतर सभी तरह के मिल्क प्रोडक्ट्स जैसे कि मक्खन, दही, पानी आदि का उपयोग करके बनाई जाने वाली मिठाइयाँ खाई जाती है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में उन्होंने मिल्क प्रोडक्ट्स को बहुत पसंद किया था।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी के मंदिरों में भक्तों का आगमन होता है और विभिन्न प्रकार की धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भगवान की आराधना और उनके गुणों की महत्वपूर्णता को समझाने के लिए सत्संग भी आयोजित किया जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

इस रूपरेखा में, कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है और भक्तों को उनके दिव्य जीवन के महत्वपूर्ण सिखों को याद दिलाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

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कृष्ण जन्माष्टमी 2023 :

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा
त्यौहार का नाम श्री कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण पूजा विधि भगवान् श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा
कब है 06 सितम्बर 2023
किस धर्म के लिए किसी भी धर्म के लोग जन्माष्टमी की पूजा कर सकते है , मुख्य रूप से यह हिन्दू धर्म के लोगो के लिए है
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श्री कृष्ण का जन्म की कथा :

श्री कृष्ण का जन्म महाभारत काल में हुआ था। वे देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। उनका जन्म मथुरा नगर में हुआ था जब रात्रि अदृश्य घटनाओं के साथ बदल रही थी।

उनके जन्म की कथा के अनुसार, महाभारत के कुलवंशीय राजा कंस ने अपनी बहन देवकी के साथी वासुदेव की शादी के समय विशेष घटना हो गई थी। वह घटना थी कि एक दिव्य आवाज़ ने कहा कि देवकी और वासुदेव के आने वाले संतान का एक द्वारका नायक को मार डालेगा। इस पर कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को गांधरी के पुत्र सहित बंदी बना दिया।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

कंस द्वारा की गई अत्याचारों के बावजूद, देवकी और वासुदेव ने आत्म-संयम और श्रद्धा के साथ अपने किस्मत को स्वीकार किया। उनकी तपस्या का फल था कि उनकी आसरा में विष्णु भगवान ने अपना आवतार लेने का निर्णय किया।

वासुदेव ने अपनी पत्नी देवकी के साथ बंदी होते हुए, श्रीकृष्ण को मथुरा नगर में ले जाने का प्रयत्न किया जिससे कि उन्हें कंस की देहान्त की आशंका न रहे। इसके लिए, वासुदेव ने श्रीकृष्ण को एक छोटे से मंदिर में रख दिया और अपने स्तन्य में लिए जा रहे दूध से उनकी रक्षा की।

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उसी रात्रि, जन्माष्टमी की रात्रि में, श्रीकृष्ण का अद्वितीय आवतार हुआ। उनका जन्म केवल विशेष रूप में घटित होने के कारण वे दिव्य थे। जन्म के समय देवकी के हृदय में ब्रह्मा का विशेष दिखाई दिया था जिससे वह भगवान के अद्वितीय स्वरूप का अनुभव कर सकें।

श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही महाभारत के भगवानीय योद्धा, विचारक और गुरु भी प्रकट हुए। उनके जीवन और उपदेशों का महत्वपूर्ण हिस्सा महाभारत में प्रस्तुत किया गया है और यह उनकी अमूल्य उपदेशों का संवाद है जो आज भी मानवता को मार्गदर्शन करते हैं। था।

जबकि देवकी की दोनों पहली संतानें कंस द्वारा मारी गईं, उनकी तीसरी संतान कृष्ण भगवान का अवतार था। वासुदेव और देवकी का यह तीसरा बच्चा कंस द्वारा मारने से बचाया गया और उसे नंद और यशोदा के घर ले जाकर छुपाया गया।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

श्री कृष्ण का बचपन गोकुल नामक गांव में बीता, जहाँ उन्होंने अपनी बाल लीलाएं दिखाईं। उनके मित्रों के साथ खेलते समय, उनकी नायिकाएं और उनकी मखन चोरी की चर्चा आज भी यादगार हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा|

श्री कृष्ण ने गोकुल में किए गए किसी भी दुष्ट क्रिया के खिलाफ खड़े होकर गोपियों और गोपों की सुरक्षा की। उन्होंने महाभारत काल में अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया और धर्म के मार्ग को प्रशस्त किया।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

श्री कृष्ण की बाल लीलाएं

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा

श्री कृष्ण की बाल लीलाएं, माखन चोरी, गोपियों के साथ रास लीला, गोवर्धन पर्वत उठाना और कई अन्य कथाएं आज भी हमारे दिलों में बसी हैं। उनकी शिक्षाएं और दिव्य व्यक्तित्व ने उन्हें एक महान गुरु और आदर्श बना दिया है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा|

श्री कृष्ण की जन्म लीला हमें यह सिखाती है कि भगवान हमें हमेशा सत्य, धर्म और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उनकी कथाएं हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती हैं और हमें एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की सीख देती हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

श्री कृष्ण के जन्म का समय

श्री कृष्ण का जन्म, हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी के दिन हुआ था। जन्माष्टमी हिन्दू मास भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो अगस्त और सितंबर के बीच पड़ती है। यह सामयिक वार्षिक उत्सव है जो भगवान कृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के अवतार होने की खुशी में विशेष पूजाएं, आराधना, भजन-कीर्तन और व्रत आयोजित किए जाते हैं। यह उत्सव भक्तों के बीच बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और विभिन्न भागों में भगवान कृष्ण की कथाएं पढ़ी जाती हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा |

श्री कृष्ण जन्मोत्सव :

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा

श्री कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर हम सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पूरे भारत में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसका आयोजन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है।

श्री कृष्ण का जन्म व्रिन्दावन में हुआ था और उनके बचपन के लीलाओं ने हमें प्यार और भक्ति का संदेश दिया। उनकी माखन चोरी, गोपियों के साथ रास लीला, और गीता में दिए गए उपदेश ने हमें जीवन के मार्गदर्शन किया है।

श्री कृष्ण के जीवन और उपदेशों से हमें कर्म का महत्व, धर्म के पालन की आवश्यकता, और भगवान में श्रद्धा की महत्वपूर्णता का सिखाने वाले सबक मिलते हैं।

इस श्री कृष्ण जन्मोत्सव, हमें उनके प्रेम और करुणा में भक्ति और प्रेम का संदेश याद दिलाने का अवसर मिलता है। हम सभी को उनके श्रीचरणों में शरण लेने की प्रार्थना है और उनके मार्गदर्शन में जीवन को सफलता और सुख-शांति प्राप्त करने की कामना करते हैं।

जय श्री कृष्ण! जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

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