बहुला चौथ कब है |व्रत, पूजा विधि ,कथा 2023|Bahula Chauth ,Vrat,Pooja Vidhi,Katha.

बहुला चौथ कब है

Table of Contents

बहुला चौथ कब है -व्रत पूजा,विधि, कथा – सावन महीने में कई त्यौहार आते है उनमे से एक बहुलाचौथ है| जिनका हम पूजन विधि, विधान से करते है |सावन में एक त्यौहार बहुला चौथ है जिसे चतुर्थी भी कहते है |इसे गुजरात के लोग बोल चौथ भी कहते है .2023 में रक्षाबंधन कब है |जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

जबकि मध्यप्रदेश में इसे बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है |चतुर्थी गणेश जी के नाम से जानी जाती है, लेकिन इस चौथ को कृष्ण चतुर्थी के नाम से जानते है|यह त्योहार मुख्यतः किसानो के द्वारा किया है |इस दिन किसान मुख्या रूप से अपने गाय,बैल की पूजा करते है |

प्रदोष व्रत कब है2023 लिस्ट : जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

किसानो के जीवन में उनके पशुओं का बहुत महत्त्व होता है|वे अपने पशुओं के द्वारा आपनी खेती करते है |ये गाय और उसके बछड़े के कल्याण के लिए ये दिन मनाया जाता है |बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ कब मनाया जाता है :

बहुलाचौथ/बोल चौथ सावन माह के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है |यह हलछट के दो दिन पहले मनाया जाता है|इस साल 2023 में 3 सितम्बर 2023 को है |नागपंचमी कब है 2023 |के बारे में यहाँ पढ़े.बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ मुहूर्त (Bhula Cauth Muhuart ):

चतुर्थी शुरू 2 सितम्बर रात 08 :50 से
चतुर्थी समाप्त 3 सितम्बर रात 06 :25 तक
बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ का महत्त्व :

बहुला चौथ /बोल चौथ मुख्य रूप से गुजरात के किसान समुदायों द्वारा मनाया जाता है |बहुला चौथ का त्यौहार मुख्यरूप से भगवान् कृष्ण के अनुयायी मनाते है |इस दिन गाय, बछड़े , बैल की पूजा की जाती है| भगवान् कृष्ण को गाय बहुत प्रिय थी| वो गाय चराते थे ,वो गाय को माँ के रूप में पूजते थे |बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ मनाने का तरीका (Bahula Chauth Celebration )-

बहुला चौथ कब है

गुजरात में बहुला चौथ /बोल चौथ के दिन व्रत रखा जाता है , इस दिन किसान समुदाय के परिवार के सभी सदस्य इस व्रत को रखते है |और अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करते है |

मध्य प्रदेश में बहुला चौथ मानाने का कुछ अलग तरीका है – बहुला चौथ के दिन घर की महिलाऐं व्रत रखती है और संतान प्राप्ति और संकट के निदान के लिए भगवन कृष्ण से प्रार्थना करती है |औरतें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए भी ये व्रत रखती है |साथ ही पुरे परिवार की समृद्धि की प्रार्थना करती है |बहुला चौथ कब है |

website : https://kalyanseva.com/

बहुला चौथ की पूजा विधि (Bahula Chauth Pooja Vidhi )-

  • इस दिन पूरा दिन व्रत रहा जाता है फिर शाम को व्रत खोला जाता है
  • बहुला चौथ के दिन मिटटी के गाय और बछडा बनाकर पूजा की जाती है . कुछ लोग सोने के गाय, बछडा बनवा कर पूजा करते है |
  • शाम को सूर्यास्त के बाद गाय , और बछड़े की पूजा की जाती है साथ की गणेश भगवान् और श्री कृष्ण की पूजा की जाती है |
  • कुछ लोग ज्वार एवं बाजरा से बनी वास्तु का भोग चढ़ाते है और उसी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है |
  • पूजा के बाद बहुला चौथ की कथा सुनी जाती है |
  • बहुल्गुबहुला चौथ की कथा जरात में बहुला चौथ के व्रत के दिन शाम का भोजन खुले आसमान के नीचे बनता है, वही पर सब बैठकर भोजन करते है |
  • मध्यप्रदेश में बहुला चौथ के व्रत वके दिन औरतें उड़द की दाल से बनने वाले बड़े का सेवन किया जाता है . व्रत के दिन औरतें इसी उड़द दाल से बना भोग ग्रहण करती है |
  • बहुला चौथ के दिन दूध से बनी चीजें जैसे, मिठाई, चाय, काफी, दही, खाना मन रहता है |
  • जो इस व्रत को करता है उसे संतान की प्राप्ति होती है साथ ही संकट से मुक्ति मिलती है . और उसे धन- ऐश्वर्य मिलता है |
  • पूजा ,कथा के बाद मिटटी से बने गाय, बछड़े को किसी नदी , या तालाब में विसर्जन कर दिया जाता है |बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ की कथा (Bahula Chauth Vrat Katha)

बहुला चौथ कब है

जब विष्णु भगवान कृष्ण रूप में धरती में आए .तब उनकी बाल लीलाएं सभी देवी देवताओं को बहुत भाती थी| गोपियों के साथ उनकी रासलीला हो या माखन चोरी कर खाना हो |इन सभी बातों से वे सबका मन मोह लेते थे| कृष्ण जी की बाल लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु जात की गाय ने बहुला के रूप में नंद की गौशाला में प्रवेश का लिया | कृष्ण भगवान को यह कामधेनु गाय बहुत प्रिय थी|बहुला का एक बछड़ा भी था जब बहुला चरने जाती तो उसका बछड़ा उसे बहुत याद करता था | बहुला चौथ कब है

एक दिन बहुला चरने के लिए जंगल गई और वह चरते-चरते बहुत दूर चली गई |और एक शेर के पास जा पहुंची| शेर बहुला को देखकर बहुत खुश हुआ |और उसे अपना शिकार बनाने के लिए सोचने लगा| बहुला बहुत डर गई फिर उसे घर में बंधे अपने बछड़े का ख्याल आने लगा|

जैसे ही शेर आगे बढ़ा उसको खाने के लिए , तभी बहुला बोली अभी मुझे मत खाओ, घर में मेरा बछड़ा भूखा है मैं उसे दूध पिला कर वापस आ जाऊंगी| मुझे अपना शिकार बना लेना फिर, यह सब सुनकर शेर हंसने लगा| और कहने लगा मैं तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास करूं |बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कहा कि वह वापस जरूर आएगी|बहुला चौथ कब है |

बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है |और बहुत प्यार करती है और उसे वहां छोड़कर वापस जंगल में शेर के पास चली जाती है | शेर उसे देख कर हैरान हो जाता है|दरअसल शेर के रूप में भगवान् श्री कृष्ण थे जो बहुला की परीक्षा ले रहे थे |

कृष्ण भगवान अपने वास्तविक रूप में आते हैं और वो कहते हैं कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं तुम अपनी परीक्षा में सफल हुई | समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी | समस्त जाती तुम्हे गौमाता कहकर बुलाएगी |भगवन श्री ने कहा की जो भी यह व्रत रखेगा उसे संतान सुख मिलेगा तथा सुख, समृद्धि, धन , ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी|बहुला चौथ कब है |

बहुला चौथ का व्रत सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है |इस समय मानसून रहता है , बारिश अत्यधिक होती है |इस त्यौहार के द्वारा सभी पशुओं की सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है |पशु अधिक बढ़ और बारिश से सुरक्षित रह सकें |हमारा देश कृषि प्रधान है |देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में पशुओं का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है |बहुला चौथ कब है |

यहाँ भी पढ़े:सावन सोमवार व्रत कथा इन हिंदी

शाम को शिवलिंग पर जल चढाना चाहिए या नहीं

माँ शैल पुत्री

कमल का फूल किसका प्रतीक है

शारदीय नवरात्रि 2023

गुरुवार व्रत कथा

Leave a comment