पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही : पित्र पक्ष में देवी देवताओं की पूजा सही या गलत, जाने सम्पूर्ण जानकारी :

पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही :पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

हर वर्ष 16 दिन ऐसे होते है जिसमे परिवार के मृत सदस्यों की आत्मा की तृप्ति और शांति के लिए तर्पण और श्राद्धकर्म किये जाते है | इन 16 दिनों के दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नही किया जाता है |पित्रपक्ष यानी की श्राद्ध पक्ष में की गयी पूजा और तर्पण से पित्र प्रसन्न होते है |और आपको आशीर्वाद प्रदान करते है |जिससे आपको जीवन में खुशहाली आती है |

अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन पित्र पक्ष की शुरुआत होती है जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है इस दौरान पितरों की शांती के लिए उनके तर्पण और पिंड दान किया जाता है |धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य व शुभ कार्य वर्जित होते है |शास्त्रों में देवी देवताओं की पूजा के साथ पूर्वजो की पूजा वर्जित है एसे में सवाल उठता है की पितृपक्ष में देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नही व्रत रखना चाहिए या नही |

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क्या होता है पित्र पक्ष में :पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पितृलोक के दरवाजे खुल जाते है , इस दौरान हमारे पूर्वजों को याद किया जाता है, उनकी आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनके निमित्त श्राद्ध करना सदियों से चली आ रही परंपरा है , जिसे आज तक हम सभी मानते आ रहे है |

पितृपक्ष में नहीं किया श्राद्ध तो करे इंदिरा एकादशी का व्रत :

पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

हिन्दू धर्म में सभी एकादशी का विशेष महत्त्व है | इनमे से एक इंदिरा एकादशी है | इंदिरा एकादशी का व्रत पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन रखा जाता है |हिन्दू धर्म में इंदिरा एकादशी के व्रत का अहम् महत्त्व है | इसे एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है |एकादशी व्रत का मुख्य उद्देश्य पितरों को मोक्ष देना है , ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके | इस व्रत को रखने से भगवान् विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है | इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए व व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए |

इंदिरा एकादशी 2023 व्रत मुहूर्त|

मंगलवार , 10 अक्टूबर 2023

एकादशी तिथि शुरू : 09 अक्टूबर 2023 ,सोमवार दोपहर 12:36 बजे

एकादशी तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2023 , मंगलवार अपराह्म 03 :08 बजे

इंदिरा एकादशी का महत्त्व :पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

पद्द पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पित्रगणों को डे दिया जाए तो नरक में गए पित्रगण भी नरक से मुक्ति होकर मोक्ष प्राप्त कर लेते है | इस व्रत को करने से सभी जीवात्माओं को उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है | इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नही करना पड़ता एवं इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पित्र टार जाते है एवं व्रत करने वाला भी स्वयं स्वर्ग में स्थान पता है |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

शास्त्रों में उल्लेख है की यदि कोई पूर्वज जाने – अनजाने में हुए पाप कर्मों के कारण दंड भोग रहा होता है तो इस दिन विधि- विधान से व्रत कर उनके नाम से दान – दक्षिणा देने से पितर स्वर्ग में चले जाते है | उपनिषदों में भी कहा गया है की भगवान् विष्णु की पूजा से पित्र संतुष्ट होते है |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

इंदिरा एकादशी व्रत नियम और पूजन विधि :

सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प कर पहले सूर्य को अर्घ्य दें | इस एकादशी पर विष्णुजी के स्वरुप शालिग्राम की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है | भगवान् शालिग्राम को पंचामृत से स्नान करवाकर गंगाजल मिले हुए जल से स्नान करवाएं | पूजा में पीला चन्दन, अबीर , गुलाल , अक्षत, मोली,फूल , तुलसी पत्र अर्पित करें|इसके बाद भोग लगाकर प्रभु की आरती करें | फिर एकादशी की कथा का श्रवण या वाचन करना चाहिए |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

इस दिन अन्न ग्रहण नही किया जाता है | फलाहार लेकर व्रत रख सकते है | जितना हो सकें “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय “का जप करें एवं विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें | एकादशी पर आंवला , तुलसी , अशोक , चन्दन या पीपल का पेड़ लगाने से भगवान् विष्णु के साथ हमारे पितर भी प्रसन्न होते है | पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

इंदिरा एकादशी के दिन क्या काम न करें :

एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन करने से बचे | इंदिरा एकादशी के दिन भोग विलास से दूर रहना चाहिए |एकादशी के दिन ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए | ध्यान रहें की इस दिन घर में झाड़ू नही लगाना चाहिए और न ही बाल,दाड़ी ,नाख़ून काटने जैसे कार्य नही करना चाहिए | एकादशी के दिन जितना संभव हो मौन का धारण करना चाहिए |इस दिन झूठ नही बोलना, निंदा करना,चोरी करना,गुस्सा करना जैसे काम नही करना चाहिए |

इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि :

यह श्राद्ध पक्ष की एकादशी | इसके प्रभाव से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है | इस एकादशी की पूजा विधि इस प्रकार है :

  • अन्य एकादशी की तरह इस व्रत के धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाते है |दशमी के दिन घर में पूजा -पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें |
  • श्राद्ध की तर्पण विधि के पश्चात ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें |याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें |
  • एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें |
  • एकदशी पर फिर से श्राद्ध विधि करे एवं ब्राह्मण को भोजन कराएँ| इसके बाद गाय, कौए ,और कुत्ते को भी भोज्य पदार्थ दें |
  • व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएँ और दान- दक्षिणा दें | इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें |

इंदिरा एकादशी व्रत कथा :पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही

सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मती नामक क्षेत्र में शासन करते थे |इन्द्रसेन भगवान् विष्णु के परम भक्त और धर्मपरायण राजा थे | वह सुचारू रूप से अपना राज -काज कर रहे थे | एक दिन अचानक देवर्षि नारद उनकी राज्य सभा में आये | राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत किया और उनके आगमन का कारण पूछा |नाराद जी ने बताया की कुछ दिन पहले वो यमलोक गए थे वहां पर उनकीं भेंट राजा इन्द्रसेन के पिता से हुई |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

राजन आपके पिता ने आपके लिए सन्देश भेजा है , की जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो जाने के कारन अभी तक उनको मुक्ति नही मिली है ओर उन्हे यमलोक में ही रहना पड़ रहा है | मेरे पुत्र और संतान से कहिऐगा की यदि वो अश्वनी माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखेंगे तो उनके भाग से मुझे मुक्ति मिल जाएगी |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

नारद मुनि की बात को सुन कर राजा इन्द्रसेन ने उनसे व्रत का विधान पूछा और व्रत को करने का संकल्प लिया | राजा ने पितृपक्ष की एकादशी पर विधि पूर्वक व्रत का पालन किया |पितरों के निमित्त मौन रह कर ब्राह्मण भोज और गौदान किया |इस तरह राजा इन्द्रसेन के व्रत और पूजन के भाग से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति और बैकुंठ लोक की प्राप्ति हुई |पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

उस दिन से ही इस व्रत का नाम इंदिरा एकादशी पड़ गया | पितृपक्ष में पड़ने वाली इस इंदिरा एकादशी के व्रत से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है | और हमे पितरों से आशीर्वाद मिलता है | पित्र पक्ष में व्रत रखना है या नही|

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