जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए :जाने व्रत में पानी पीने के नियम , पूजा विधि, सम्पूर्ण जानकारी :

जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए -हर साल भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है |इस वर्ष पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 06 सितम्बर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से हो रही है | वही इस तिथि का समापन अगले दिन 07 सितम्बर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा |

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्त्व :

जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और उत्सवपर्व है, जो भगवान श्री कृष्ण के जन्म के खुशी में मनाया जाता है। यह व्रत भक्तों के द्वारा विशेष भक्ति और आराधना के साथ मनाया जाता है और इसका महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है:जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

  1. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी: श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्त्व प्राथमिक रूप से भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी और उत्साह के लिए है। भगवान कृष्ण का अवतार लोगों के जीवन में ज्ञान, प्रेम और धर्म की शिक्षा देने के लिए हुआ था, और उनके जन्मदिन का उत्सव उनके आदर्शों और महत्वपूर्ण कार्यों की स्मृति में मनाने का एक अवसर है।
  2. भक्ति और आराधना का माहौल: जन्माष्टमी व्रत भक्तों को भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होने और उनकी आराधना करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन भक्त उनके लीलाओं का पाठ करते हैं, उनके नामों का जाप करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करके उनके प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करते हैं।
  3. धार्मिक उद्देश्य: श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का उद्देश्य धर्मिक आदर्शों की पालना और उनके जीवन में भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को अपनाना है। इस दिन को विशेष रूप से ध्यान, मेधा, और उदारता के साथ बिताने से व्यक्ति अपने आदर्शों की पुनरावृत्ति करता है।
  4. सामाजिक एकता और सहयोग: जन्माष्टमी व्रत के दौरान, भक्त आपसी सहयोग और सामाजिक एकता की महत्वपूर्णता को महसूस करते हैं। विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग एक साथ आकर उत्सव का आनंद लेते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

इस प्रकार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत एक महत्वपूर्ण और प्रामुखिक धार्मिक उत्सव है जो भक्तों को भगवान कृष्ण के आदर्शों का पालन करने और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नियम :

जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पालन करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन कर सकते हैं:

  1. निराहार व्रत: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आपको निराहार व्रत का पालन करना चाहिए, जिसमें आप आहार में अन्न या अन्य ग्रहणीय पदार्थ नहीं खाते हैं.जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |
  2. उपवास: इस दिन आपको उपवास करना चाहिए, जिसमें आपको जीवन्त जीवन में केवल फल, साबुदाना, दूध, दही, मक्खन, फलियां आदि खाने की अनुमति होती है.
  3. पूजा-अर्चना: इस विशेष दिन परंपरागत तरीके से श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करें। उनकी मूर्ति को सजाकर पूजन करें, बिल्वपत्र, तुलसी, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, आदि से उनकी पूजा करें।
  4. व्रत कथा सुनना: व्रत के दिन श्रीमद्भगवद गीता और श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करना चाहिए, जिससे आपकी भक्ति और आस्था मजबूत हो।जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |
  5. जागरण: रात्रि में श्री कृष्ण की जागरण करें, जिसमें भजन, कीर्तन और कथा की जाती है।
  6. नीति-नियम: इस व्रत के दिन आपको सत्य, अहिंसा, तपस्या, दान और सेवा आदि के नीति-नियम का पालन करना चाहिए।
  7. विशेष आहार: श्री कृष्ण को प्रिय खाद्य सामग्री में मक्खन, पनीर, मिष्ठान, माखन मिश्रित खिचड़ी, दही, फलियां, पकवान आदि शामिल हो सकते हैं।
  8. रात्रि के वक्त जन्म मुहूर्त: श्री कृष्ण का जन्म संध्या काल में हुआ था, इसलिए रात्रि के वक्त उनके जन्म का मुहूर्त परंपरागत रूप से मनाना चाहिए।जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

यदि आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पालन करने की इच्छा रखते हैं, तो ये उपरोक्त नियम आपके लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं। आपके परिप्रेक्ष्य में, आपकी आस्था और साधना के अनुसार आप इनमें से कुछ भी नियम को अपना सकते हैं। जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी में कब पिए पानी :

जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत बहुत कठिन माना जाता है और सूर्यास्त के बाद पानी पीना वर्जित माना जाता है |इस व्रत में पूरे दिन पानी पीने की छूट होती है |लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी नहीं पिया जाता है | जो लोग ये व्रत रखते हैं, उन्हें सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म के समय तक निर्जला रहना पड़ता है |

वहीँ कृष्ण जी के जन्म होने के बाद ही पानी को पिया जा सकता है | कुछ लोग जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि लगने के बाद से ही निर्जला रहते है , कृष्ण जन्म के बाद ही पानी को पीते है | आप अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रख सकते है | पूरे दिन सूर्यास्त के पहले तक पानी पी सकते है |जन्माष्टमी के व्रत में पानी कब पीना चाहिए |

आराधना मन्त्र

ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यम नमस्ते ज्योतिषं पते !

नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य में प्रति ग्रिम्हाताम !!

संतान प्राप्ति के लिए मंत्र

पहला मंत्र- देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते !देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः !!

दूसरा मंत्र – क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः !!

विवाह का मंत्र

ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपिजनवल्लभाय स्वाहा .

रात के 12 बजे कृष्ण जी का जन्म करवाएं और भजन गाएं | वही अगले दिन उठकर नहा लें |

फिर कृष्ण जी की पूजा करते हुए व्रत तोड़ने का संकल्प धारण करें |

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