गोवर्धन पूजा कैसे करें : गोवर्धन पूजा 2023, गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है , जाने गोवर्धन पूजा का रहस्य :

गोवर्धन पूजा कैसे करें

गोवर्धन पूजा कैसे करें :कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है |

गोवर्धन पूजा 2023 :गोवर्धन पूजा कैसे करें-

कार्तिक मास के शुक्ल की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है |इस साल 2023 में कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 14 नवम्बर को सुबह 04 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 15 नवम्बर को दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगी | इसे अन्न कूट भी कहते है | यह त्यौहार दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है | इस त्यौहार का सम्बन्ध भगवान् श्री कृष्ण से है | मान्यता है की भगवान् श्री कृष्ण देवो के राजा इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए तथा गोकुल के लोगों की उनके क्रोध से रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था |

गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को जाती है |

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गोवर्धन पूजा कैसे करें :

गोवर्धन पूजा कैसे करें

गोवर्धन पूजा के दिन घर के आंगन में गोबर से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है. इस आकृति में आंख, नाक व नाभि भी बनाई जाती है. इसके चारों ओर ग्वाले, गाय व भैंस की आकृति बनाने का भी चलने है. यह प्रतिमा गोवर्धन पर्वत व ग्वालों की प्रतीक होती है. शुभ मुहूर्त के समय इस प्रतिमा का पूजन किया जाता है. पूजन के लिए रोली, चावल, खील, बताशे, जल, कच्चा दूध, पान, केसर, फूल और दीपक थाली में अवश्य रखें जाते हैं. इसके बाद घर के पुरुष गोवर्धन महाराज को रोली, चंदन व हल्दी का तिलक करते हैं और उन्हें केसर, पान, फूल अर्पित करते हैं. फिर घी का दीपक जलाते हैं.

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इसके बाद हाथ में खील लेकर गोवर्धन महाराज की प्रतिमा की 7 बार परिक्रमा करते हैं और परिक्रमा करते समय थोड़ी-थोड़ी खील ​अर्पित करते रहते हैं. परिक्रमा पूरी होने के बाद जल अर्पित किया जाता है. बता दें कि गोवर्धन भगवान की प्रतिमा में नाभि बनाई जाती है और उस नाभि में कच्चा दूध डाला है. इस दूध को प्रसाद के तौर पर हर कोई ग्रहण करता है. पुरुषों की परिक्रमा पूरी होने के बाद महिलाएं भी उसी विधान से परिक्रमा करती हैं और जल अर्पित करती हैं. इसके बाद मंगलगान या भजन गाए जाते हैं. इस दिन पूजा में मीठे पुए बनाए जाते हैं और उनका भोग लगाया जाता है.

गोवर्धन पूजा का रहस्य :

गोवर्धन पूजा कैसे करें

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में एक बार देवराज इंद्र को अपने ऊपर अभिमान हो गया था। इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक अद्भुत लीला रची। श्री कृष्ण में देखा कि एक दिन सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे थे और किसी पूजा की तैयारी में व्यस्त थे। इसे देखते हुए कृष्ण जी ने माता यशोदा से पूछा कि यह किस बात की तैयारी हो रही है?

कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा माता ने बताया कि इंद्रदेव की सभी ग्राम वासी पूजा करते हैं जिससे गांव में ठीक से वर्षा होती रहे और कभी भी फसल खराब न हो और अन्न धन बना रहे। उस समय लोग इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट चढ़ाते थे। यशोदा मइया ने कृष्ण जी को यह भी बताया कि इंद्र देव की कृपा से ही अन्न की पैदावार होती है और उनसे गायों को चारा मिलता है।

इस बात पर श्री कृष्ण ने कहा कि फिर इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा होनी चाहिए क्योंकि गायों को चारा वहीं से मिलता है। इंद्रदेव तो कभी प्रसन्न नहीं होते हैं और न ही दर्शन देते हैं। इस बात पर बृज के लोग इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। यह देखकर इंद्र देव क्रोधित हुए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। इंद्रदेव ने इतनी वर्षा की कि उससे बृज वासियों को फसल के साथ काफी नुकसान हो गया।

ब्रजवासियों को परेशानी में देखकर श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को अपने गाय और बछड़े समेत पर्वत के नीचे शरण लेने के लिए कहा। इस बात पर इंद्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति को और ज्यादा तीव्र कर दिया। तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर विराजमान होकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इंद्र लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे तब ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें कृष्ण जी की पूजा की सलाह दी। ब्रह्मा जी की बात सुनकर इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा करके अन्नकूट का 56 तरह का भोग लगाया। तभी से गोवर्घन पर्वत पूजा की जाने लगी और श्री कृष्ण को प्रसाद में 56 भोग चढ़ाया जाने लगा।

गोवर्धन पूजा का महत्त्व :

इस पूजा को करने वाले व्यक्ति का सीधा प्रकृति से सामंजस्य बनाता है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस पूजा में गोबर से बने पर्वत की विधिपूर्वक पूजा करने से और भगवान कृष्ण को भोग लगाने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और गाय की पूजा करने का भी इस दिन पर विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पूजा करने वाले व्यक्ति को इच्छानुसार फल भी मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसके धन और समृद्धि का लाभ होता है और परिवार में खुशहाली रहती है।

इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग को अर्पित करते हैं। आपको बता दें कि इस प्रसाद को अन्नकूट भी कहा जाता है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन यह भोग भगवान को चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में अन्न कभी खत्म नहीं होता है।

इन सभी कारणों की वजह से पर्व का हमेशा से ही एक विशेष महत्व माना जाता है।

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