आरती कुंज बिहारी की : आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स हिंदी में : (Arti Kunj Bihari Ki Lyrics): आरती कुंज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की :

आरती कुंज बिहारी की

आरती कुंज बिहारी की :कुंज बिहारी जी की आरती गाने की महिमा असीम है और इसके गुणगान करने से आनंद ओए समृद्धि की अनुभूति होती है | यह आरती समस्त भक्तों को धार्मिकता, अध्यात्मिकता और सामर्थ्य की अनुभूति कराती है| यहाँ कुछ महत्त्व पूर्ण मान्यताएं है जो कुंज बिहारी जी की आरती की महिमा को व्यक्त करती है.

दिव्य रूप : कुंज बिहारी जी की आरती उनके दिव्य और मोहक रूप की महिमा को प्रकट करते है |इस आरती के द्वारा भक्त उनके सम्पूर्ण रूप का आनंद और भक्ति से मोहित होते हैं |आरती कुंज बिहारी की|

लीलामय विभूति :आरती गाने के द्वारा कुंज बिहारी जी की लीलामय विभूति और अद्भुत कार्यों की महिमा प्रकट होती है |यह आरती उनकी ख़ुशी ,सुख विजय और संचार की भावना को प्रकट करती है |

प्रेम की भावना :कुंज बिहारी जी की आरती उनके प्रेम की भावना को व्यक्त करती है |इस आरती के द्वारा भक्त प्रेम ,श्रद्धा और समर्पण की भावना को बढ़ाते हैं |

कुंज बिहारी जी की आरती का महत्त्व :

आरती कुंज बिहारी की

आरती को “आरार्तिक” और “निरंजन” भी कहा जाता है |ध्यान रहें कि आरती के आरती के दौरान अगर आप मन्त्रों का उच्चारण करते हैं तो यह आपके लिए और भी अच्छा होगा लेकिन अगर न भी करें ,तो शुद्ध मन से दीपक या कपूर के साथ की गई आरती भी आपकी मनोकामना को सिद्ध कर सकती है |

आरती में शंख और बाती का महत्त्व :

जब भी आरती करें उसमें घंटी और शंख का वादन अवश्य शमिल करें . इससे आपके आस-पास वातावरण शुद्ध होता है वही घर की समस्त नकारात्मक उर्जा इन शंख और घंटियों की ध्वनि से बाहार निकल जाती है |और आपकी प्रर्थना बिना किसी बाधा के भगवान तक पहुच जाती है |

दीपों या बतियों की संख्या को लेकर भी ध्यान रखें की यह एक, पांच , या फिर सात के क्रम में ही हो. अगर आप आरती के लिए कपूर का उपयोग कर रहे हो तो उसमे भी यही क्रम होना चाहिए |आरती कुंज बिहारी की

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आरती के पांच अंग :

आपको पता की आरती के पांच अंग माने गये है – पहला दीपक, दूसरा शुद्ध जल या गंगाजल युक्त शंख , तीसर स्वच्छ वस्त्र , चौथा आम या पीपल के पवित्र पत्ते और पांचवा दंडवत प्रणाम करना|

आरती चाहे प्रात : काल हो या फिर संध्याकालीन , या फिर किसी विशेष पूजा की आरती ही क्यूँ न हो उनमे इन पांच विधियों का नियमानुसार पालान अवश्य ही किया जाना चाहिए |

आरती में शंख के जल का महत्त्व :

ध्यान रहें की शंख में रखे जल को आरती में उपस्थित सभी लोंगो पर छिडकाव अवश्य करें |क्योंकि इससे उन्हें पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और जीवन की साडी परेशानिया समाप्त हो जाती है |

आरती कुंज बिहारी की : Arti Kunj Bihari Ki Lyrics In Hindi ):

आरती कुंज बिहारी की

कुंज बिहारी जी की आरती गाने के फायेदे :

  • मन की शांति : ब्कुंज बिहारी जी की आरती गाने से मन में शांति की अनुभूति होती है | इसके द्वारा मन की चंचलता कम होती है और मन शांत होता है
  • भक्ति की भावना :कुंज बिहारी जी की आरती गाने से भक्ति की भवना में वृद्धि होती है | इसके द्वारा भक्त अपने इष्ट देव की ओर अपनी पूरी भावना और समर्पण दिखा सकता है |
  • मनोवैज्ञानिक लाभ : कुंज बिहारी जी की आरती गाने से मनोवैज्ञानिक रूप से भी फयदा मिलता है | इसके द्वारा सतत ध्यान और धारणा बढती है , जिससे मन कम विचलित होता हैंऔर ध्यान केन्द्रित होता है |
  • आध्यात्मिक संवाद : कुंज बिहारी जी की आरती गाने से आध्यात्मिक संवाद में वृद्धि होती है | इसके द्वारा भक्त और देवी- देवताओं के बीच संवाद करने की भावना मजबूत होती है , और उनके साथ संवाद कने का अनुभव होता है |
  • श्रद्धा का विकास : कुंज बिहारी जी की आरती गाने से श्रद्धा का विकास होता है |

आरती कुंज बिहारी की : (Arti Kunj Bihari Ki Lyrics In Hindi )

आरती कुंज बिहारी की

आरती कुंज बिहारी की ,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंज बिहारी की ,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

गले में बैजंती माला ,

बजावै मुरली मधुर बाला|

श्रवण में कुंडल झलकाला ,

नन्द के आनंद नंदलाला |
गगन सम अंग कांति काली ,

राधिका चमक रही आली |

लतन में ठाढ़े बनमाली ,

भ्रमक सी अलक,

कस्तूरी तिलक ,

चन्द्र सी झलक ,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

||आरती कुंज बिहारी …||

कनकमय मोर मुकुट बिलसै ,

देवता दरसन को तरसै |

गगन सों सुमन रासि बरसै |

बजे मुरचंग ,

मधुर मिरदंग ,

ग्वालिन संग ,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

||आरती कुंज बिहारी की …||

जहां ते प्रकट भई गंगा ,

सकल मन हारिणि श्री गंगा |

स्मरण ते होत मोह भंगा ,

बसी शिव सीस ,

जटा के बीच ,

हरै अघ कीच ,

चरण छवि श्री बनवारी की ,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

||आरती कुंज बिहारी की ..||

चमकती उज्ज्वल तट रेनू ,

बज रही वृन्दावन बेनू |

चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनु ,

हंसत मृदु मंद,

चाँदनी चन्द ,

कटत भव फंद ,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

|| आरती कुंज बिहारी की ..||

आरती कुंजू बिहारी की ,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंज बिहारी की ,

|| श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

हिन्दू धर्म में पूजा का बहुत महत्त्व है और पूजा के बाद आरती करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है | कहा जाता है की आरती के बिना पूजा अधूरी मणि जाती है | पूजा के अंत में पूजा में किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए भगवान् से क्षमा और आरती की जाती है | आरती के बाद ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है |जन्माष्टमी में कुंज बिहारी की आरती का बड़ा महत्त्व है | भगवान् श्री कृष्ण के साथ देवी राधा का यह आरती गीत वातावरण को आनंदित करता है | आरती कुंज बिहारी की |

कुंज बिहारी जी की आरती शंख, घंटी, और करतल बजाते परिवार के साथ भक्ति के साथ गयी जाती है |भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई थी|युद्ध में ही उन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था | आज पूरी दुनिया गीता के उपदेशों को बहुत ध्यान से पढ़ती और समझती है | कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर, लोग अपने आस-पास के मंदिरों और घरों में श्री कृष्ण की पालकी सजाते है और उनकी विधिवत पूजा और आरती करते है |आरती कुंज बिहारी की |

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