
||श्री बजरंग बाण का पाठ||
||SHREE BAJARANGBAAN KA PAATH||
श्री बजरंग बाण किसने लिखा :
बजरंग बाण के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी थे|काशी में गोस्वामी तुलसीदास जी के ऊपर एक तांत्रिक ने मारण मंत्र का प्रयोग किया था . जिसके कारन उनके पूरे शरीर में फोड़े निकल आये थे और उनके प्राण संकट में पड़ गये थे |तभी तुलसी दास जी ने सम्पूर्ण बजरंग बाण लिखकर हनुमान जी से अपने प्राण बचाने का अनुरोध किया |बजरंग बाण के पाठ से उनके फोड़े ठीक हो गये और मारण मंत्र का प्रभाव भी ख़तम हो गया |तब से तुलसीदास जी द्वारा रचित इस हनुमान बाण को अचूक माना जाता है |श्री बजरंग बाण का पाठ.
हनुमान बाण भगवान हनुमान के आराध्य भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण मंत्र है। यह मंत्र हिन्दू धर्म में प्रयुक्त होता है और भक्त इसका पाठ करते हैं ताकि वे भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति करें।श्री बजरंग बाण का पाठ.
यदि आप हनुमान बाण का पाठ करना चाहते हैं, तो यह मंत्र निम्नलिखित है:
ॐ हनुमते नमः।
भवानी शंकर पार्वती पति महादेव की अराध्य देवता हनुमान की कृपा आपके ऊपर बनी रहे।
यह मंत्र भगवान हनुमान की आराधना के लिए उपयुक्त होता है और आप इसका नियमित जप करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान रखें कि मंत्र का जाप ध्यान, श्रद्धा और पूरी भक्ति के साथ करना चाहिये |श्री बजरंग बाण का पाठ.
श्री बजरंग बाण का पाठ कब करें :
बजरंग बाण का पाठ तभी करना चाहिए जब आप घोर मुसीबत में हो और उस मुसीबत से निकलने का रास्ता न मिल रहा हो | क्यूंकि ऐसी मान्यता है की बजरंग बाण का पाठ करने से बजरंग बली स्वयं सहायता के लिए आते है|हनुमान जी श्री राम जी के भक्त है और जब श्री राम जी का नाम लिया जाता है तो हनुमान जी वहा सहायता के लिए आ जाते है |बजरंग बाण में बजरंग बाली को उनके आराध्य श्री रामजी की कसम दी गयी है | अत: हनुमान जी आपकी सहायता अवश्य करेंगे |श्री बजरंग बाण का पाठ.
“बजरंग बाण” पाठ का करना व्यक्तिगत आधारित होता है और आपके नियमित धार्मिक प्रथाओं और आराध्यता के आधार पर निर्भर करता है। यह आपकी आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है कि आप इस पाठ का कब करना चाहते हैं। आप अपने पंडित, धार्मिक गुरु या संदेश के अनुसार इसे अपने जीवन में उपयोग कर सकते हैं और इसे आचार्य द्वारा सुझाए गए समय और विधि के अनुसार पाठ कर सकते हैं।श्री बजरंग बाण का पाठ.
बजरंग बाण का पाठ आप निम्नलिखित अवसरों पर कर सकते हैं:
मंगलवार: मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करना विशेष रूप से प्रसन्न किया जाता है, क्योंकि मंगलवार भगवान हनुमान का दिन माना जाता है।
शनिवार: शनिवार को भी बजरंग बाण का पाठ किया जा सकता है, क्योंकि भगवान हनुमान को शनिदेव के पुत्र कहा जाता है, और इस दिन उनका पूजन करना शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त: अगर आपके पास किसी विशेष कार्य के लिए शुभ मुहूर्त है, तो बजरंग बाण का पाठ उस मुहूर्त में कर सकते हैं, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, या किसी अन्य पूजा अवसर पर।
रोज़: कुछ लोग रोज़ सुबह-सुबह या शाम के समय बजरंग बाण का पाठ करते हैं, अपने दैनिक रूटीन में इसे शामिल करते हैं।.
श्री बजरंग बाण का पाठ कब नही करना चाहिए :

“बजरंग बाण” का पाठ करना विशेष रूप से सकारात्मक माना जाता है और यह हनुमान जी के भक्तों द्वारा उनके प्रेम और भक्ति की भावना से किया जाता है। हालांकि, इसे कुछ विशेष समयों या परिस्थितियों में नहीं करना उचित माना गया है।.श्री बजरंग बाण का पाठ.
- किसी से ईर्ष्या भाव से बजरंग बाण का पाठ नही करना चाहिए |
- अनैतिक कार्यो में सफलता के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नही करना चाहिए |
- भौतिक इच्छा की पूर्ति के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए |
- किसी गलत कार्यों की सिद्धि की पूर्ति के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए |
रात्रि को: बजरंग बाण का पाठ रात्रि को नहीं करना चाहिए, क्योंकि हनुमान जी के उत्कृष्ट भक्तों के अनुसार, रात्रि को बजरंग बाण का पाठ नही होना चाहिए।
महिलाओं के लिए: मान्यता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
शाव्दिवल (शव प्रेत की अवस्था) में: भयंकर भावनाओं वाले लोगों या शावदी वस्तुओं से दूर रहने वालों को बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
दुखी और आत्मविश्वास गुम होने पर: अगर कोई व्यक्ति दुखी है या उसका आत्मविश्वास गुम हो गया है, तो उसे बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए। इसका पाठ करना प्रासंगिक नहीं हो सकता।श्री बजरंग बाण का पाठ.
बजरंग बाण का पाठ सम्मान और श्रद्धा के साथ किया जाए और यह समय और स्थिति के आदान-प्रदान के आधार पर किया जाए, जिससे यह प्रासंगिक और प्रेरणादायक हो।श्री बजरंग बाण का पाठ.
श्री बजरंग बाण का पाठ कैसे करें :
- स्थान चयन: एक शांत और पावन स्थान चुनें, जहां आप प्रारंभ करने के लिए आराम से बैठ सकते हैं। आपके लिए मेधाशांति और ध्यान के लिए एक शांत स्थान उपयुक्त होगा।श्री बजरंग बाण का पाठ.
- शुद्धिकरण: हाथ धोकर, पूजा के लिए निम्नलिखित प्रकार से शुद्धि करें:
- पानी से आत्मा को शुद्ध करना
- मंत्र से आपने शरीर को शुद्ध करना
- उसके बाद सर्वप्रथम गणेश भगवान् जी का ध्यान करें
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ: पहले ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ करें। यह आपके मन को तैयार करेगा और ऊर्जा प्रदान करेगा।
- हनुमान जी को याद करें और अपने कष्ट को दूर करने के लिए बजरंग बली से प्रार्थना करें |
- बजरंग बाण का पाठ: अब ‘बजरंग बाण’ का पाठ करें। यह स्तोत्र भगवान हनुमान की महिमा और शक्ति के बारे में है। मन, वचन और भाव से इसका पाठ करें और महिमा में रंगीं रहें।
- ध्यान और समाप्ति: पाठ के बाद, ध्यान करें और भगवान हनुमान की आराधना करें हनुमान जी की आरती करें |। आदित्य हृदय स्तोत्र और बजरंग बाण के पाठ से आपका मानसिक स्थिति मजबूत होगी और आपका ध्यान एकाग्र होगा। बजरंग बाण के बाद श्री राम के भजन करें |हनुमान चालीसा पढ़ें |श्री बजरंग बाण का पाठ.
इस रीति से बजरंग बाण का पाठ करने से आपको मानसिक शांति, ऊर्जा, और आदर्श ध्यान प्राप्त होगा। यह आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।श्री बजरंग बाण का पाठ.
||श्री बजरंग बाण का पाठ ||
||Shree Bajrang Baan Ka Path ||

॥ दोहा ॥
निश्चित प्रेम प्रतीति ते, विनय करै सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ॥
॥ चौपाई॥
जय हनुमान सन्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥ जैसे कूदि सिन्धु महिपारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ॥ आगे जाइ लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुरलोका ॥ जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥ बाग उजारि सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जम कातर तोरा ॥ अक्षय कुमार को मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ॥ लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुर पुर महं भई ॥ अब विलम्ब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अंतर्यामी ॥ जय जय लखन प्राण के दाता । आतुर होइ दुख करहु निपाता ॥ जै गिरिधर जै जै सुख सागर । सुर समूह समरथ भटनागर ॥ ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारू ब्रज की किले ॥ गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ॥ ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो । ब्रज गदा हनु विलम्ब न लावो ॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमन्त कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥ सत्य होहु हरि शपथ पायके । रामदूत धरू मारू जाय के ॥ जय जय जय हनुमान अगाधा । दुख पावत जन केहि अपराधा ॥ पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥ वन उपवन मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥ पाय परौं कर जोरि मनावौं । येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥ जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥ बदन कराल कल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ॥ भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर । अग्नि बैताल काल मारी मर ॥ इन्हे मारू, तोहि शपथ राम की । राखउ नाथ मरजाद नाम की ॥ जनक सुता हरि दास कहावो । ताकी शपथ विलम्ब ना लावो ॥ जय जय जय धुनि होत अकासा । सुमिरत होत दुसह दुख नाशा ॥ चरण शरण कर जोरि मनावौं । येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥ उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई । पायं परौं कर जोरि मनाई ॥ ॐ चं चं चं चपल चलन्ता । ॐ हनु हनु हनु हनुमन्ता ॥ ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल । ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥ अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥ यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहौ फिर कौन उबारै ॥ पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करै प्राण की ॥ यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ॥ धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा || || दोहा ||
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै,
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै,
सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करै हनुमान ॥
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