श्री जगदीश जी की आरती – आरती श्री जगदीश जी की| Aarati Jagdeesh ji ki|जय जगदीश हरे आरती |Jay Jagdeesh hare aarti | ॐ जय जगदीश हरे आरती |om jai Jagdeesh hare Aarati | आरती जय जगदीश हरे |Aarti Jai Jagdeesh hare |

ॐ जय जगदीश हरे आरती -ये आरती पूरे विश्व में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को स्वर देती आ रही है |
ॐ जय जगदीश हरे आरती की रचना 150 वर्ष पूर्व सन1870 में हुई थी .जिसके गायक व रचयिता पंडित श्रद्धाराम (शर्मा)फिल्लौरी थे |श्री जगदीश जी की आरती
पंडित श्रद्धाराम जी का जन्म 30 सितम्बर 1837 में पंजाब के लुधियाना के पास फुल्लौरी गाँव में हुआ था . तथा मृत्यु 24 जून 1881 में हुआ|आरती की पंक्ति में जो ” श्रद्धा भक्ति बढाओ, संतान की सेवा ” में जहां श्रद्धा शब्द धार्मिक श्रद्धा बढाने को कहता है, वही ये संभवतः इसके रचयिता की ओर इशारा भी करता है |श्री जगदीश जी की आरती |
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श्रद्धाराम जी द्वारा रचित यह आरती मूलतः विष्णु भगवान् को समर्पित है
श्री जगदीश जी की आरती –

श्री जगदीश जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे ,
स्वामी!जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट ,
दास जनों के संकट
क्षद में दूर करें ||
ॐ जय जगदीश हरे ….||1||
जो ध्ववे फल पावव,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी!दुःख बिनसे मन का|
सुख संपत्ति घर वावे,
सुख संपत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तनका ||
ॐ जय जगदीश हरे ….!!2!!
मात पिता तुम मेरे ,
स्वामी शरण गहुँ किसकी |
शरण गहुँ मई किसकी ,
तुम बिन और न दूजा ,
तुम बिन और ण दूजा
आस करूँ मैं जिसकी ||
ॐ जय जगदीश हरे …||3||
तुम पूरण परमात्मा ,
तुम अन्तर्यामी ,
स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर ,
पारब्रह्म परमेश्वर ,
तुम सब के स्वामी ||
ॐ जय न्जग्दीश हरे… ||4||
तुम करुना के सागर ,
तुम पालनकर्ता ,
स्वामी तुम पालनकर्ता ,
मैं मूरख खलकामी ,
कृपा करो भर्ता ||
मैं सेवक तुम स्वामी,
ॐ जय जगदीश हरे… ||5||
तुम हो एक अगोचर ,
सबके प्राणपति ,
स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय ,
किस विधि मिलूं दयामय ,
तुमको मैं कुमति ||
ॐ जय जगदीश हरे… ||6||
दीं बंधु दुःख -हर्ता ,
ठाकुर तुम मेरे ,
स्वामी रक्षक तुम मेरे|
अपने हाथ उठाओ ,
अपने शरण लगाओ ,
द्वार पड़ा तेरे ||
ॐ जय जगदीश हरे…||7||
विषय विकार मिटाओ ,
पाप हरो देवा,
स्वामी कष्ट हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढाओ,
श्रद्धा भक्ति बढाओ,
संतान की सेवा ||
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे|
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करो ||
||ॐ जय जगदीश हरे आरती सम्पूर्ण ||

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