श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र (krishn janamashtmi pooja-vidhi ,mantra)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र -जन्माष्टमी जिसे हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जानते है |इस त्योहार को लोग भगवान् श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मानते है |आज इस पोस्ट में आपको श्री कृष्ण भगवान् से जुडी हर जानकारी मिलेगी जैसे की श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनायी जाती है , जन्माष्टमी का महत्त्व , पूजा विधि एवं मंत्र |

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

श्री कृष्ण जन्माष्टमी में भगवान की पूजा आधी रात को की जाती है धर्म ग्रंथों में तो जन्माष्टमी की रात में जागरण विधान का उल्लेख भी किया गया है| वैष्णव संप्रदाय के अनुसार आधी रात के समय कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करने से 3 जन्मों के पापों का नाश हो जाता है |श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का अर्थ होता है “भगवान श्री कृष्ण के जन्म की अष्टमी”। यह हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे वार्षिक रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जिन्होंने भगवद गीता के माध्यम से मानवता के लिए उपदेश दिया था।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भारतवर्ष में भगवान कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है, जो भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है। यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार आवश्यकता अनुसार विभिन्न तिथियों में भी मनाई जा सकती है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में जाकर पूजा, आरती और भजन-कीर्तन करते हैं। भक्त व्रत का पालन करते हैं और विशेष भोग भी चढ़ाते है | भगवान् श्री कृष्ण को माखन मिश्री बहुत प्रिय है | इसलिए उनके भोग में माखन मिश्री सामिल किया जाता है |

आरती कुंज बिहारी की

इसके अलावा, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग श्रीमद्भगवद गीता के उपदेशों का पाठ करते हैं और भगवान कृष्ण की अद्भुत कथाएँ सुनते हैं।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म कथा माखन चोरी और गोपियों के साथ रासलीला के रूप में प्रसिद्ध है। यह त्योहार आध्यात्मिकता और भक्ति की अद्भुत भावना को व्यक्त करने का एक माध्यम है और भगवान कृष्ण के दिव्य लीलाओं की स्मृति कराता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण जी का जन्म महाभारत काल में हुआ था और उन्होंने भगवद गीता के माध्यम से अर्जुन को धर्म, कर्म और भक्ति के बारे में उपदेश दिया था।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थल मथुरा और वृंदावन में विशेष उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। रात्रि में भजन-कीर्तन, भगवान की कथाएं और पूजा का आयोजन किया जाता है।

कृष्ण भगवान के बचपन की कान्हा लीलाएं और उनके गोपियों के साथ रासलीला की यादें भक्तों के द्वारा याद की जाती हैं। मंदिरों में उनकी मूर्तियाँ विशेष भक्ति और आदर के साथ सजाई जाती हैं, और विभिन्न प्रकार की पूजाएं आयोजित की जाती हैं।

इस दिन व्रत, पूजा, आरती, भजन-कीर्तन, भगवद गीता के पाठ, अथवा साधु-संतों के सत्संग की जाती है। यह त्योहार भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और उनकी भक्ति और आदर का प्रतीक माना जाता है।

यह त्योहार हिन्दू समाज में खास उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इसे धूमधाम से मनाते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि/ पूजन विधि :श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत पूजन विधि भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है, जिसके द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की जन्म की खुशी मनाई जाती है। निम्नलिखित है कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की पूजन विधि:

1. व्रत की तैयारी:

  • व्रत की तैयारी से पहले साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएं।
  • पूजन सामग्री जैसे कि फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, तुलसी, पंचामृत (दही, घी, शहद, दूध, गंगाजल) और फल आदि की तैयारी करें।

2. उपवास:

  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उपवास का पालन करें। कई लोग निराहार उपवास का पालन करते हैं, जबकि कुछ अन्य फल, साबूदाना, कुट्टू के आटे के आहार का सेवन कर सकते हैं।

3. पूजा:

  • संध्या काल को पूजा का आयोजन करें।
  • पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या छवि को सजाकर रखें।
  • पूजा की शुरुआत गणेशजी की पूजा से करें। उन्हें दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल, अक्षत (चावल के दाने), रोली, चांदन आदि से पूजें।
  • फिर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। उन्हें अक्षत, फूल, तुलसी, बिल्वपत्र, दूध, माखन, मिश्री, घास, फल आदि से पूजें।

4. भजन और कीर्तन:

  • पूजा के दौरान भजन, कीर्तन और ध्यान करें। भगवान कृष्ण की लीलाएँ गाकर उनकी महिमा का गान करें।

5. व्रत कथा:

  • जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की जन्म कथा सुनें या पढ़ें।

6. आरती:

  • पूजा के अंत में भगवान कृष्ण की आरती करें।

7. प्रसाद:

  • पूजा के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में मिश्री, माखन, पंचामृत, फल आदि चढ़ाएं।

8. व्रत का खोलना:

  • जन्माष्टमी के दिन के बाद नियमित आहार लेने से पहले व्रत का खोलना करें।

यह विधि आपको कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत पूजन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी। आपके धार्मिक आदर्शों और परंपराओं के अनुसार, आप विधियों में छोटी-बड़ी परिवर्तन कर सकते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन मंत्र :

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र

उपवास के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि नित्यकर्म करने के पश्चात् सूर्य , सोम, यम ,काल, संधि,भूत, पवन,दिक्पति ,भूमि ,आकाश ,खेचर , अमर और ब्रम्हादी को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठे |

इसके बाद जल , फल,कुश और गंध लेकर संकल्प करें –

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये ,

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये ||

श्री कृष्ण जन्माष्टमी ” पर्व पर पूजन करते समय निम्नलिखित मंत्र का उपयोग किया जा सकता है:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। आद्यं पुराण पुरुषं नवयौवनं च। वेदेषु दुर्लभं दुर्गं च योऽविष्णुमाया। मृत्युं जयति जयंति तिष्ठत्येष धाम्नि।।”

यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और आराधना में प्रयुक्त होता है। यदि आप पूरी विधि से पूजा करना चाहते हैं, तो आपको एक पंडित या धार्मिक व्यक्ति से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि पूजा और मंत्रों की विधि विभिन्न स्थानों और संप्रदायों में भिन्न हो सकती है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव , नन्द ,यशोदा, और लक्ष्मी ,इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए | फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पित करें-

प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामन:|

वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नम:|

सुपुत्राघ्र्यां प्रदंतं में ग्राहनें नमोऽस्तुते ||

जन्माष्टमी उपवास :

जन्माष्टमी दो प्रकार की होती है -पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयंती | इसमे केवल पहली कृष्ण जन्माष्टमी है स्कन्द पुराण के अनुसार जो भी मनुष्य जान बूझ कर कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत नही करता वह जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है |श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाने वाले हिन्दू त्योहारों में से एक है, जिसे बहुत उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी या कृष्णाष्टमी कहा जाता है। त्योहार में श्रीकृष्ण की पूजा, कथाएँ, संगीत और रसलीला का आयोजन किया जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी के दिन बहुत से लोग उपवास (व्रत) करते हैं जिसका मतलब होता है कि वे पूरे दिन खान पीने से बचते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। उपवास के दौरान कुछ लोग सिर्फ फल, पानी, दूध, दही आदि का सेवन करते हैं और दूसरे लोग नींबू-पानी या दूध के साथ फल खाते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

उपवास के अलावा, जन्माष्टमी पर भगवान की मूर्ति का अभिषेक गोपालाचार्य या दही हांडी के साथ किया जाता है, जिसे “धानी” कहा जाता है। इसके बाद मूर्ति को तोड़ कर छोड़ा जाता है, जिसे “चोरी” कहते हैं। भगवान के चरणों को प्रसाद के रूप में देने के लिए यह आयोजन किया जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी के उपवास का मुख्य उद्देश्य भगवान के जन्मदिन पर उनके भक्ति और पूजा में लगन रखना होता है, और यह त्योहार हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और आनंददायक उत्सव माना जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जागरण :

जन्माष्टमी जागरण, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी कहा जाता है। यह तिथि वर्षावस्थान और भौतिक स्थितियों के आधार पर अलग-अलग तिथियों पर पड़ सकती है।

जन्माष्टमी जागरण एक प्रकार की रातभरी भजन संग्रहणी होती है, जिसमें भक्त भगवान कृष्ण की कथाओं, लीलाओं, भजनों और आरतियों का पाठ करते हैं। यह जागरण अक्सर मंदिरों, मंदिरों के पास के स्थानों, और धार्मिक समूहों में आयोजित किया जाता है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी जागरण में विशेष रूप से भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा और आराधना की जाती है। भक्त उनकी लीलाओं की कथाएं सुनते हैं, जिनमें उनके चिल्लम चोरी, गोपियों के साथ खेलना आदि शामिल होते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी जागरण के दौरान, भगवान कृष्ण की मूर्ति का अलंकरण विशेष रूप से किया जाता है, और विभिन्न प्रकार के प्रसाद और भोग उनकी पूजा के लिए तैयार किए जाते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

जन्माष्टमी के इस त्योहार के माध्यम से भक्त भगवान कृष्ण के जीवन और संदेश को याद करते हैं और उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेते हैं। यह एक आनंदमय और उत्साहपूर्ण त्योहार होता है जो हिन्दू समुदाय के लोग मिलकर मनाते हैं।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र|

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